रिक्त ह्रदय रिक्त मन,
संपूर्ण संसार,
निरंतर कोशिश,
जिंदा रहने की,
एक प्रतिस्पर्धा,
स्वयं से,
स्वयं तक पहुचने की,
आसमान ओझल,
सुनसान भीड़,
हारे तो जीत,
जीते तो हार,
अजीब असमंजस,
मौत की कल्पना,
जीने का बोझ,
इस रिक्त जीवन में,
करने को बहुत कुछ है ॥
This blog is dedicated to those people who never met a platform to write his/her own words creation or innovations.... So I introduce the New Hub for poetry people as Poetry Bucket where you can throw your imagination and creations with me &....with a full of worth "Rise the Bucket----: Poetry-Bucket"
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Tuesday, July 3, 2012
सीढियों पर किस्मत बैठी थी..
सीढियों पर किस्मत बैठी थी..
ना जाने किसका इंतज़ार कर रही थी..
उससे देख एक पल मैं खुश हुआ..
और पास जाकर पूछा..
क्या मेरा इंतज़ार कर रही हो...
उसने बिना कुछ बोले मुहँ फेर लिया..
दो तीन बार मैंने और प्रयास किया..
पर वो मुझसे कुछ ना बोली...
मैं समझ गया ये किसी और के लिए यहाँ बैठी है..
इस बार मैंने कोशिश की उससे रिझाने की..
अपना बनाने की...
उसने पलट कर देखा पर कुछ कहा नहीं..
एक विचित्र सी फ़िल्मी स्तिथि थी..
मैं उसे अपना बनाना चाहता था और,
वो किसी और की होना चाहती थी...
मैं भी वही बैठा रहा..
उससे अपना बनाने की युक्तियासुझाते रहा..
कुछ क्षण के लिए मेरी आँख लग गयी..
और किस्मत आँखों से ओझल हो गयी..
मैंने बहुत अफ़सोस मनाया और मायूसी से उठा..
इतने में किसी ने बताया..
मुझे कोई पूछ रहा था..
अपना नाम कुछ "क़" से बताया था..
उसने बहुत देर इंतज़ार किया मेरा..
और चला गया..
और अब मैं विवश बैठा हु सीढियों पर..
अगले कदम की योजना बना रहा हुं...
ना जाने किसका इंतज़ार कर रही थी..
उससे देख एक पल मैं खुश हुआ..
और पास जाकर पूछा..
क्या मेरा इंतज़ार कर रही हो...
उसने बिना कुछ बोले मुहँ फेर लिया..
दो तीन बार मैंने और प्रयास किया..
पर वो मुझसे कुछ ना बोली...
मैं समझ गया ये किसी और के लिए यहाँ बैठी है..
इस बार मैंने कोशिश की उससे रिझाने की..
अपना बनाने की...
उसने पलट कर देखा पर कुछ कहा नहीं..
एक विचित्र सी फ़िल्मी स्तिथि थी..
मैं उसे अपना बनाना चाहता था और,
वो किसी और की होना चाहती थी...
मैं भी वही बैठा रहा..
उससे अपना बनाने की युक्तियासुझाते रहा..
कुछ क्षण के लिए मेरी आँख लग गयी..
और किस्मत आँखों से ओझल हो गयी..
मैंने बहुत अफ़सोस मनाया और मायूसी से उठा..
इतने में किसी ने बताया..
मुझे कोई पूछ रहा था..
अपना नाम कुछ "क़" से बताया था..
उसने बहुत देर इंतज़ार किया मेरा..
और चला गया..
और अब मैं विवश बैठा हु सीढियों पर..
अगले कदम की योजना बना रहा हुं...
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