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Friday, December 21, 2012

दुःख से साक्षात्कार


बहुत दिन हो गए दुःख को यहाँ आये,
जमाना बीत गया यहाँ पैर फैलाये,
सोचा आज कर ही लेते है दुःख से साक्षात्कार ,
पूछ लेते है क्या है इसके आगे के विचार ,
हमने पूछा दुःख से थोडा घबरा कर ,
वो भी सहम गया हमे अपने पास पाकर ,
आजकल काफी पहचाने जा रहे हो ,
महंगाई ,गरीबी, गैंगरेप आदि विषयो से चर्चा में आ रहे हो ...
दुःख चोंका, फिर  सहमा, और मुंह फिरा कर धीरे से बोला ...
मुझे पालने पोसने, बड़ा करने में आप लोगो का भी योगदान है ...
और उसके पीछे आप लोगो के  अपरिवर्तनीय परिवर्तन और संकीर्ण सोच का श्रमदान है।।।
मैं स्वयं नहीं चाहता हूँ यहाँ रहना, जाना चाहता हूँ अपने घर ...
लेकिन सरकार  ने मेरे जाने पर लगा दी रोक और मुझे लिया धर ...
कई बार की कोशिश मैंने भागने की ,
सारी ताकत लगा दी उन्हॊने मुझे वापस लाने की ,
मैं फिर यहाँ रह गया ,
मेरा सौतेला भाई सुख भी देखता रह गया ,
दुःख की व्यथा सुन कर हम चुप हो गए ,
और इस तरह हम दुःख के दोस्त हो गए ।।