रक्त रंग परिवर्तित हुए
सम्बन्ध वही रहे
अनियमित मन पहचानने की कला
वो सदैव समझते रहे
उग्र मन.....शांत स्वभाव
ये विशिष्ट संयोजन
सिर्फ वो ही पढ़ पाये
लगभग अस्सी हजार क्षणिकाओं पश्चात
आज फिर मेरे जीवन में आये
ठीक वही जहा छोड़ कर गए थे
ठीक उसी रंग रूप में
बस परिवेश बदल गए
और बदल गए कुछ लक्ष्य
आत्मा वही और देह भी वही
बस अंतकरण संरचनाए बदल गयी
वही तेज मुख पटल का देख
दिवा स्वप्नों में खो गए
करने लगे विश्वास पुनर्जन्म पर
जी के मर गए या मर कर जीवित हो गये।
सम्बन्ध वही रहे
अनियमित मन पहचानने की कला
वो सदैव समझते रहे
उग्र मन.....शांत स्वभाव
ये विशिष्ट संयोजन
सिर्फ वो ही पढ़ पाये
लगभग अस्सी हजार क्षणिकाओं पश्चात
आज फिर मेरे जीवन में आये
ठीक वही जहा छोड़ कर गए थे
ठीक उसी रंग रूप में
बस परिवेश बदल गए
और बदल गए कुछ लक्ष्य
आत्मा वही और देह भी वही
बस अंतकरण संरचनाए बदल गयी
वही तेज मुख पटल का देख
दिवा स्वप्नों में खो गए
करने लगे विश्वास पुनर्जन्म पर
जी के मर गए या मर कर जीवित हो गये।