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Wednesday, August 7, 2019

तमाशा बना रखा है एक जीव का

बहुत तेज़ बारिश  हो रही थी। करण ने अपनी कार सड़क के किनारे खड़ी कर दी और अपने दोस्त वसीम को फ़ोन लगाया। उसने फ़ोन पर कहाँ "8 बजने वाले है, जल्दी से ले आ नहीं तो दुकानें बंद हो जाएगी। इतना मस्त मौसम हो रहा है, जल्दी आ और सतीश को भी फ़ोन कर दे, कहर ढायेंगे आज तो ।" इतना बोल कर करण ने फ़ोन रख दिया और एक सिगरेट निकाल कर पीने लगा। 
थोड़ी देर में सतीश और वसीम एक टैक्सी से वहां पहुंचे और करण की कार में बैठ गए। उन तीनो ने वहां बैठ कर शराब पीनी शुरू की। तभी वहां से पुलिस की एक जीप निकल कर गयी, सतीश ने डरते हुए कहा "यार, करण कहीं पुलिस का ध्यान यहाँ ना पड़ जाए, जल्दी से ख़तम करके निकलते है।" करण ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया "अरे, तू डर मत, इन सबको मैं संभाल लूंगा। मेरा बाप बहुत पैसे छोड़ कर गया है।  वो कब काम आएंगे।  ये पैसा सबका मुँह बंद कर देता है भाई।" ये बोल कर तीनो ठहाके लगा कर हंसने लगे।
जब तीनो मद्यमय थे तभी करण को बाहर एक लड़की अपनी स्कूटी को पैदल घसीटते दिखाई दी। करण ने अपने दोनों दोस्तों का ध्यान उस लड़की की ओर दिलाया और बोला "आज तो सही में कहर ढायेंगे दोस्तों, शराब के साथ कुछ शबाब भी होना चाहिए।" उसके दोस्त सतीश ने कहां "अरे छोड़ यार, क्यों बिना वजह झमेला खड़ा कर रहा है।" करण ने सतीश की तरफ देख कर कहां "अबे, तू क्यों डर रहा है, मैं तो पहले भी कई बार ऐसे रस्ते चलते कइयों को लपेट चुका हूँ, आज तो मुझे दशक पूरा करना है अपना।" वसीम भी करण के साथ सहमत था। उन दोनों के दबाव में आकर सतीश भी सहमत हो गया। 
तीनो अपनी कार से बाहर निकले और उस लड़की की सहायता करने के बहाने उस से बात की। लड़की उन तीनो को देखते ही सारी स्तिथि भांप गयी और अपनी स्कूटी उनके ऊपर पटक कर भागने लगी। किन्तु वसीम ने उसे पीछे से पकड़ लिया और करण ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। सतीश की मदद से वो तीनो उस लड़की उठा कर अपनी कार में ले आये। 

तीन महीने बीत चुके थे। करण अपने प्रॉपर्टी  के काम में व्यस्त था और उसके दोनों दोस्त अपने अपने काम से दूसरे शहर बस चुके थे।  करण की वही दिनचर्या रहती थी। भू माफिया का काम करना और रात में शराब पार्टी करना।  पिछले कुछ समय से उसके पेट में अजीब सा दर्द रहता था। रात को ज्यादा शराब पीने की वजह से सुबह उसका हैंगओवर होता था। उल्टिया होती थी और मन बैचैन रहने लगा था। उसने कई बार सोचा कि किसी डॉक्टर से परामर्श कर ले किन्तु अपने व्यसनों की वजह से उसे अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रहता था। अब कुछ समय और निकला उसके पेट में अजीब सा दर्द बढ़ा और साथ में पेट का आकार भी। अब उसे यकीन हो गया था कि ये कोई अल्सर की गाँठ है जो समय के साथ बढे जा रही है। इस बार उसने डॉक्टर से परामर्श किया। डॉक्टर ने उसे कुछ जांचे करवाने को कहा।  उसने अपनी सभी जांचे करवाई और रिपोर्ट्स डॉक्टर को दिखाने गया। 
डॉक्टर ने जैसे ही सोनोग्राफी की रिपोर्ट देखी और सतब्ध रह गया।  करण ने डॉक्टर के माथे का पसीना देख कर जोर से पूछा "मुझे क्या हुआ है डॉक्टर।" डॉक्टर ने उसकी तरफ देख कर कहा "ये कैसे हो सकता है।" करण ने घबरा कर डॉक्टर से पूछा "आखिर मुझे हुआ क्या है डॉक्टर साब", डॉक्टर ने कहा "तुम्हारे पेट में 5 महीने का गर्भ पल रहा है।" ये सुन कर करण भौंचक्का रह गया। डॉक्टर ने आगे कहा कि "ये वैज्ञानिक तर्क से बिलकुल परे है। तुम्हारी और जांचे की जाएगी। तुम्हे बड़े अस्पताल में भर्ती करके इस अप्राकृतिक संयोग की जाँचे की जाएगी।" डॉक्टर का इतना बोलना था कि करण मेज पर पड़ी अपनी रिपोर्ट्स लेकर वहां से भाग गया। 
करण सीधे अपने घर पर आकर रुका। अपने बिस्तर पर लेट कर वो बहुत रोया और सोचने लगा ये कैसे हो सकता है। कही डॉक्टर से कोई गलती तो नहीं हो गयी या कोई रिपोर्ट्स बदल गयी। अपने बढ़े हुए पेट को बार बार छू कर समझने की कोशिश करता रहा।  उसे अब अपनी पिछली सारी गलत कृत्य एक एक करके याद आने लगे।  किसी बुजुर्ग का घर छीन लिया।  कितनी लड़कियों की आबरू छीन ली। 
अचानक उसे याद आया की बारिश की एक रात में उसने अपने दो दोस्तों के साथ एक लड़की को ज़बरदस्ती उठाकर उसके साथ बलात्कार किया था। और वो इतना निर्दयी हो गया था कि अपने बलात्कार के दसवे क्रमांक को सेलिब्रेट करने के लिए उस लड़की का अपहरण करके दस दिन तक उस से रोज बलात्कार करता रहा। उसे तरह तरह की यातनाये दी। उस लड़की की यौन अंग में शराब की बोतल तक डाल दी।  उस लड़की के शरीर पर सिगरेट की राख से जख्म दिए। और उसके बाद लड़की को जंगल में कूड़े के ढेर की तरह फेंक आया।

अब करण जी को अपने किये पर पछतावा होने लगा। उसे लगने लगा कि ये उसके बुरे कर्मो के फल है। उसने तुरंत अपने दोस्त सतीश को फ़ोन लगाया जो कि उसकी पत्नी ने उठाया और सतीश के बारे में जानकारी दी कि वो किसी दूसरे शहर गए है। उसने अपने दूसरे दोस्त वसीम को फ़ोन किया और उसके हालचाल पूछे तो उसने बताया कि वो ठीक है और अपने काम काज में व्यस्त है।
अब करण को डर लगने लगा कि अगर सही में उसके पेट में गर्भ है तो वो शर्म से ही मर जाएगा, दुनिया का सामना कैसे करेगा। उस दिन वो सो नहीं पाया और रात भर डर में रहा।  उसने सोचा कि वो किसी और डॉक्टर से परामर्श करेगा। उसके दिमाग में हज़ारो ख़याल आने लगे। इस अप्राकृतिक घटना पर उसे आश्चर्य भी हो रहा था और पछतावा भी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि जब ये बात खुलेगी तो किस किस के मुँह बंद करेगा। क्योकि पैसे से मुँह बंद करना तो उसकी आदत थी। 
अगले दिन सुबह वो अपने किसी दोस्त के जानकार डॉक्टर से परामर्श कराने पंहुचा। डॉक्टर ने उसकी सारी रिपोर्ट्स देखी और उसे समझाया ये बहुत ही दुर्लभ परिस्तिथि में ऐसा हुआ है। किसी विशिष्ट हार्मोन वाली लड़की के साथ बार बार सम्बन्ध बनाने की वजह से ऐसा हुआ। अब उसके मन में जो शंका थी वो यकीन में बदल गयी थी कि ये उसी लड़की के साथ किये गए बलात्कार का परिणाम है। उसे याद आया कि उसके साथ तो उसके दोस्तों ने भी बलात्कार किया था किन्तु उन्हें तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
कुछ दिनों करण बहुत तनाव में रहा और एक दिन उसने अपने आप को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।
उसके घर पुलिस आयी, पोस्टमार्टम हुआ तो सारी बात दुनिया के सामने आ गयी। टीवी न्यूज़ चैनल और अख़बार में ये अनहोनी खबर सुर्खियों में थी। 
एक डाकिये ने जब ये खबर पढ़ी तो वो अख़बार लेकर अपने घर पंहुचा और ये विचित्र खबर उस लड़की को सुनाई जिसे वो 5 महीने पहले लगभग मृत अवस्था में जंगल से उठा कर लाया था। उसका इलाज करवाया किन्तु वो लड़की कोमा में चली गयी थी। उस लड़की  की आँखें तो खुली रहती थी किन्तु ना तो वो सुन पाती थी और ना बोल पाती थी। वो डाकिया उस लड़की को कई खबरे और कहानिया अक्सर सुनाया करता था ताकि वो लड़की  किसी बात का तो जवाब दे। इसलिए ये खबर भी डाकिये ने उस लड़की को सुनाई।  लेकिन इस बार उस लड़की ने कुछ बुदबुदाया।  डाकिये के चेहरे पर प्रसन्नता की लहार दौड़ आयी। इतने महीनो बाद आज इस लड़की ने  बोलना चाहा।  उस लड़की ने डाकिये से धीमे स्वर में बोलै "बाबा, अभी ऐसी २ खबरे और आना बाकी है।"
लड़की ने उस डाकिये को सारी बात बतायी और ये भी बताया कि "कोमा में जाने बाद भी ऐसा कोई दिन नहीं गया जब मैंने भगवान् से प्रार्थना नहीं की हो कि उन तीनो के साथ भी कुछ ऐसा हो जिस से उन्हें एक लड़की दर्द का पता चले। एक लड़की की मनोस्तिथि पता चले। मैंने बिलकुल यही माँगा था भगवान् से, उन्हें यही सजा दे।कितनी शर्म का सामना करना पड़ता है जब बलात्कार जैसी कोई घटना किसी लड़की के साथ घट जाती है।  उनका खुद का समाज, उनके सगे सम्बन्धी तक उन्हें अशुद्ध मान कर अस्वीकार करते है।  कोई अपनाने को तैयार नहीं होता।  और उनके माँ बाप का क्या हाल होता है, जब वो ऐसी घटना अपनी बच्ची के बारे में सुनते है।  कलेजा फट जाता है उन लोगो का, बाबा। ऐसे लड़को के लिए बहुत आसान होता है, किसी भी लड़की का बलात्कार करना। कोई डर ही नहीं बचा उन लोगो में। अपने पैसे, शराब और वासना के नशे में चूर ऐसे लड़के कभी भी, किसी भी समय ये कुकृत्य  कर देते है। आज मन कर रहा है, चलो बलात्कार कर  देते है।  इस लड़की ने दोस्ती के लिए मना कर दिया, चलो बलात्कार कर देते है।  आज मौसम अच्छा है, बारिश हो रही है, चलो बलात्कार कर  देते है।  जिस दिन इनके पेट में गर्भ धारण होगा ना तब समझेंगे ये कुछ ऐसी घटिया मानसिकता वाले लड़के।
इतने महीने की चुप्पी तोड़ने के बाद उस लड़की ने इतना बोला कि उस डाकिये के पास बोलने को कोई शब्द नहीं बचे थे। वो बस उन २ आत्महत्या की खबरों की प्रतीक्षा कर रहा था। जो कुछ समय बाद उसे मिल भी गयी। सतीश और वसीम ने भी करण की तरह इस बात को छुपाने की कोशिश की किन्तु वो अपने आप से, अपने कुकृत्य से, अपने बुरे कर्मो से हार गए थे। 

अनुलेख:  ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक और आधारहीन है। किन्तु जिस प्रकार हर दिन सैकड़ो रेप हो रहे है तो ऐसे निराधार प्रसंग मन में आना स्वाभाविक है। अख़बार में हर दिन ये बलात्कार की खबर आती है। तमाशा बना रखा है एक जीव का।