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Thursday, September 12, 2013

भीषण गर्जना

अत्यंत दुर्बल परिस्तिथि में ..
एक सह्सीय भीषण गर्जना ,
चारो ओर सन्नाटा  ..
आपस में तांकते महा विभोर ,
दुःख ..  कठिनाई ..तनाव ..समस्या ..
सब खड़े मौन ,
विस्मित मन से सोच रहे,
अब हो गया इनका विरोध ,
कैसे करेंगे परेशान अब,
सुन कर उसकी गर्जना ,
पीछे खड़ा ..सहमा हुआ डर  ..
डर रहा था आगे आने को ,
सोच रहा था मन ही मन ,
फिर किया आव्हान किसी ने ,
अब पराजय निश्चित है ,
गर्जना भर से ही सब विचलित है,
साथ  में थोडा विस्मित है ,
युक्तिया बना रहे है ,
बचने की अब ..
राह देख रहे है,
पलायन की अब ..
जायेंगे वहा,
जहाँ ना सुनाई  देगी, इन्हें ललकारने की,
इतनी भीषण गर्जना ....

 

Wednesday, September 4, 2013

बातचीत की खिड़की

एक दिन जी मेल पर…
अवसर मिला लॉग इन करने का.…
सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…
जान लूँगा हाल उनके …
और बता दूंगा अपने भी.…
एक दोस्त को क्लिक किया …. 
चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…
चेट विंडो में उसकी … 
लाल बत्ती जल रही थी.…
जो एक चेतावनी दे रही थी.…
दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…
हमे आया गुस्सा … 
बोले चेट विंडो से….
अरे रुकावट तो तुम बन रही हो.…
हम दो दोस्तों के बीच.…
लाल बत्ती और धमकी भरी चेतावनी से….
डरा रही हो…
वो कुछ ना बोली …
और ना दोस्त कुछ बोला ….
हम कुछ देर रुके ….
और फिर एक दोस्त पर क्लिक किया ….
इस बार हरी बत्ती थी ….
मन प्रसन्न हुआ ….
इस से जरुर बात होगी …
हमने पूछा प्रेम से....
कैसे हो?
कुछ देर तक जवाब ना आया ….
और हरी दिखने वाली बत्ती …
कब नारंगी हो गयी ….
पता ना चला …
हम थोड़े मायूस हुए…
लेकिन एक बार फिर सहस्त्र आशाओ के बल पर…
फिर एक दोस्त को क्लिक किया….
सहसा आशाओ का बल अदृश्य हुआ ….
एक विचार आया.…
और हमने स्वत ही वो .…
बातचीत की खिड़की बंद कर दी ….
और अनिश्चित काल के लिए …
लॉगआउट हो गए । ।