"शुभकामनाएं "
शुभकामनाएं इस नए व्यक्तित्व की,
इस नए स्वरुप की,
जो अभी अभी उभरा है,
एक और जन्म लेकर,
प्रकृति की अनन्त परिधि
में समाहित,
सहस्त्र नए परिवर्तन से परिपूर्ण,
एक नयी दिशा में भ्रमण,
एक उल्लास के साथ,
एक उत्साह के साथ,
एक पुर्वसीमित विश्वास के साथ,
जहा फिर मिलेंगे साथ,
लेकिन समयाबंधनो
के इर्दगिर्द,
फिर एक नयी तलाश,
एक बैचैनी सी और
नाराज़गी ज़िन्दगी से,
ये तो वक़्त की बुद्धिमानी
जो समां लेता है अटकले,
फिर मित्रता ज़िन्दगी से
और एक और व्यक्तित्व का
जन्म और फिर
शुभकामनाएं, जो सिर्फ मेरे
हृदय से नहीं निकलती|
This blog is dedicated to those people who never met a platform to write his/her own words creation or innovations.... So I introduce the New Hub for poetry people as Poetry Bucket where you can throw your imagination and creations with me &....with a full of worth "Rise the Bucket----: Poetry-Bucket"
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Thursday, August 25, 2011
"उम्मीद"
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
पहुचने ही वाली थी,
ऐसे रुकी मानो किसी ने रोक लिया हो,
पास जाने ही न दिया हो,
वही खड़े खड़े तड़प रही हो,
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
बहुत कोशिश करी उसने,
उस भ्रमजाल से निकलने की,
लेकिन हर बार उलझ सी गयी वो,
दम घुट रहा था उसका,
लेकिन सांस चल रही थी,
जैसे बिना पानी के कश्ती चल रही हो,
एक जगह आकर ठहर सी गयी वो,
बस कुछ दूर रह गयी वो,
मेरी उम्मीद......
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
पहुचने ही वाली थी,
ऐसे रुकी मानो किसी ने रोक लिया हो,
पास जाने ही न दिया हो,
वही खड़े खड़े तड़प रही हो,
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
बहुत कोशिश करी उसने,
उस भ्रमजाल से निकलने की,
लेकिन हर बार उलझ सी गयी वो,
दम घुट रहा था उसका,
लेकिन सांस चल रही थी,
जैसे बिना पानी के कश्ती चल रही हो,
एक जगह आकर ठहर सी गयी वो,
बस कुछ दूर रह गयी वो,
मेरी उम्मीद......
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