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Saturday, March 22, 2014

हिंदी भाषा


कई दशको पहले
यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता
जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता 
चहुँमुखी विकास के साथ साथ
अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता
और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा
भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती
और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता
लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता
तो मैं भी उपहास बनाता
जैसा आज मेरा उपहास बनाया गया
सिर्फ मेरे टूटी फूटी अँग्रेजी बोलने पर
"हिंदी ही बोला करो" ये अहसास दिलाया
सारी पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की जाती
साक्षात्कार भी हर जगह हिंदी में किया जाता
और विदेशी गानो का प्रारम्भ
हिंदी के शब्दो से किया जाता
विदेशो  में रैपिड हिंदी कोर्स करवाया जाता
भारत में अध्य्यन करने हेतु
हिंदी का जटिल प्रश्न पत्र आता
तब अंग्रेजी बोलने वाले भी हिंदी बोलते
तो उनका  सर गर्व से उठ जाता
तब कही जाकर
सराही जाती अपनी ही मातृभाषा
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान नहीं मुझे
लेकिन अच्छी लगती हिंदी भाषा ॥