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Friday, May 13, 2022

ना जाने वो कहाँ है आजकल

ना जाने वो कहाँ है आजकल
सुनाई भी नहीं देते
ढूंढने जाऊं भी तो कैसे ढूँढू
कैसे पहचानूँ इस भीड़ में
मैने तो सिर्फ आवाज़ ही सुनी थी उनकी 

आवाज़ लगायी थी आज सुबह ही उनको 
जोर से चिल्लाया भी
ना सुना उन्होंने या अनसुना कर दिया
इस भीड़ में अकेला कर दिया
क्या करू अब मैं
बैठा रहु या चल पडूँ

ना वो मुझे मिल रहे है
ना मैं किसी से मिल रहा हूँ 
इस छुपम छुपाई के खेल में 
जीवन चल रहा है 

क्यों तलाश है मुझे
जानते हुए भी कि
मिलेंगे नहीं वो अब कभी
धैर्य टूटा, टूटी हिम्मत
टूटा आत्मा विश्वास
बस एक उम्मीद ही नहीं टूट रही है। 


Friday, May 6, 2022

क्या रे मन

क्या रे मन 

क्यों विचलित है 

वो नहीं है 

कोई बात नहीं 

रिक्त है तो

क्यों घबराता है 

ऐसे विवश ना हो 

हतोत्साहित ना हो 

ये जीवन चक्र है 

ये भी देखना पड़ता है 

दृढ कर अपनी धमनियों को 

प्रेम कर स्वयं से 

उद्घोष कर 

अपनी हार की 

और विजय की ओर चल। 



Thursday, April 28, 2022

ओ लड़की

बस, बहुत हुआ 
अब आंसू न बहा 
ना विलाप 
ना पश्चाताप 
खड़ी हो, और 
हुँकार भर 
तू ही सर्वेसर्वा है 
तू ही माँ करणी 
तू ही जगदम्बा है 

कौन है वो 
कहाँ है वो 
परवाह ना कर 
उनके शब्दों की 
कर वज्रपात 
उनके सीने में 
जो कर ना सके 
व्यवधान
तेरे जीने में 

तू आगे बढ़ 
अब ना डर 
स्वयं से 
ये प्रतिज्ञा कर 
ना चाहिए तुझे 
हाथ किसी का 
ना चाहिये 
साथ किसी का 
अब खुद संभल 
और संभल कर चल 

बहुत बहा लिए 
ये अनमोल अश्रु 
कीमत इसकी 
यहाँ किसी को नहीं 
सशक्त बन 
और निडर हो 
निर्निमेष पथ पर 
अकेले चल 
विजयी भव:

~ आभार