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Thursday, August 25, 2011

"उम्मीद"
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
पहुचने ही वाली थी,
ऐसे रुकी मानो किसी ने रोक लिया हो,
पास जाने ही न दिया हो,
वही खड़े खड़े तड़प रही हो,
बस कुछ दूर ही रह गयी थी उम्मीद,
बहुत कोशिश करी उसने,
उस भ्रमजाल से निकलने की,
लेकिन हर बार उलझ सी गयी वो,
दम घुट रहा था उसका,
लेकिन सांस चल रही थी,
जैसे बिना पानी के कश्ती चल रही हो,
एक जगह आकर ठहर सी गयी वो,
बस कुछ दूर रह गयी वो,
मेरी उम्मीद......

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