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Tuesday, July 9, 2019

भगवान के साथ संवाद - वाद विवाद

एक दिन रास्ते में मुझे एक वृद्ध महिला ने सहायता के लिए पुकारा। मैंने उनकी सड़क पार करने में सहायता की और साथ ही उन्हें खाने के लिए कुछ पैसे दिए।  उन वृद्ध महिला के ढेरो आशीर्वाद लेकर मैं मुड़ा ही था कि मेरे इष्टदेव मेरे समक्ष प्रकट हुए । एक बार को मैं खड़ा स्तब्ध रह गया फिर मैंने उनसे कहा "हे बजरंग बली, मैं धन्य हुआ जो आपके दर्शन हुए "। वे बोले की "ये तेरे अच्छे कर्म का परिणाम है", बोल क्या चाहिए तुझे, क्या समस्या है, अभी निवारण करता हूँ। मुझे कुछ समझ नहीं आया की उनसे क्या माँगू, सहसा एक बात दिमाग में आयी जो बहुत सालो से मेरे दिमाग में थी, वो मैंने उनके समक्ष रख दी।

मैंने कहा "हे पवन पुत्र हनुमान, आपने मुझे २ पुत्रिया दी है, क्या आप मुझे एक पुत्री और एक पुत्र का सुख नहीं दे सकते थे।  क्यों मुझे एक पुत्र के सुख से वंचित रखा"। बजरंग बली कुछ देर मौन रहे, फिर बोले कि "तू चल मेरे साथ श्री राम के पास वो ही तेरे इस प्रश्न का उत्तर देंगे"।

वो मुझे कुछ दूर एक छोटे से मकान में ले गए और मुझे बाहर खड़े होने को कहा।  मैं मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि एक तो मुझे मेरे इष्ट देव के दर्शन करने का सौभाग्य मिला और दूसरा मेरे प्रश्न के कारण भगवन श्री राम से मिलने का अवसर मिल रहा है। थोड़ी ही देर में मुझे अंदर से कुछ आवाज़ आयी।  ऐसा प्रतीत हुआ कि हनुमान जी, श्री राम को मेरा परिचय कुछ गलत ढंग से दे रहे थे। वे श्री राम से बोल रहे थे कि "प्रभु बाहर एक बहुत ही निर्लज वयक्ति खड़ा है जो एक लड़का और लड़की में भेद को लेकर कुंठित है।  मैंने उसके अच्छे कर्मो के बदले उसे दर्शन दिए और वो मुझे अपने अनर्गल प्रश्न से भ्रमित कर रहा है। इसलिए ही मैं उसे आपके पास ले आया"।

श्री राम ने उन्हें मुझे अंदर लाने के आदेश दिए। हनुमान जी बाहर आये और अपनी चढ़ी हुई भौंहों से मुझे अंदर आने का संकेत दिया।  हनुमान जी ने श्री राम के पास जाकर कहा "प्रभु यही है वो" और उनके पास हाथ बांध कर खड़े हो गए। श्री राम ने मेरी ओर देखा और कहा बोलो क्या बात है। मैंने उन्हें प्रणाम किया और अपना प्रश्न दोहरा दिया। श्री राम बोले "देखो, आज के युग में एक लड़के और लड़की में भेद करना मूर्खता है। दोनों में कोई अंतर नहीं है, अगर लड़का तेज है तो लड़की सरलता। लड़का अगर वंश आग्रहक है तो लड़की वंश रक्षक। दोनों ही एक समान है, उनमे कोई अंतर नहीं है"।

मैं श्री राम जी की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। उनकी बात सुनने के बाद मैंने उनसे कहा "हे प्रभु इसमें कोई संशय नहीं कि इन दोनों में कोई अंतर नहीं अपितु एक बेटी अपने परिवार को बहुत ज्यादा स्नेह करती है किन्तु श्री राम अभी कल की ही बात है कि मेरी बेटी के स्कूल का एक ऑटो चालक मेरी बेटी को बड़ी आपत्तिजनक दृष्टि से देख रहा था और मेरी दृष्टि जब उस पर पड़ी तो वो सकपका गया और ऑटो तेजी से चला कर भाग गया।

मैं पूरे दिन सोचता रहा कि ये आज के युग में क्या हो रहा है जो खबरें अख़बार में पढ़ते थे वो इतनी आम हो गयी कि घर घर में किसी के साथ कुछ भी गलत घट सकता है। मैं इतना हतप्रभ हुआ और अपनी बेटी के लिए सुरक्षा का अभाव महसूस हुआ। बस इसी सुरक्षा की दृष्टि से एक पुत्र की कामना की ताकि मेरे बाद वो अपनी बहिन की रक्षा कर सके और मैं चिंतामुक्त हो पाता।  इसलिए आपके सामने ये प्रश्न पूछने की हिम्मत कर पाया"।

मैं वहा रुका नहीं, अपने अंदर जितना भी गुस्सा था वो अपने शब्दों से निकालना चाह रहा था। मैंने आगे कहा

"हे प्रभु, आज के समय में कही भी लड़किया सुरक्षित नहीं है।  उनकी अस्मिता छीनी जा रही है। बरसो से पली बढ़ी लड़कियों का चंद मिनिटो में बलात्कार कर दिया जाता है। चाहे रोडवेज की बस हो या कोई प्राइवेट टैक्सी। कही कोई सुरक्षित नहीं है।  लड़की चाहे इक्कीस बरस की हो या चार बरस की उन्हें हर स्थान पर वासना का शिकार बनाया जा रहा है। पता नहीं ये जीवाणु, विषाणु, कीटाणु जैसे विषैले तत्त्व कहा से उत्पन्न हो रहे है जो इन लड़किया की असुरक्षा के प्रमाण पत्र को सत्यापित कर रहे है। इनके लिए कही से भी किसी कीटनाशक का प्रबंध करवाओ प्रभु। ऊपर से हमारी न्याय व्यवस्था कोई कठोर कदम नहीं... "
मेरा इतना कहना ही था कि श्री राम ने मुझे बीच में ही रोक कर एक गहरी सांस ली और गंभीर मुद्रा में कुछ सोच कर बोलने ही वाले थे कि मेरी आँख खुल गयी। बिना उत्तर मिले मेरे प्रश्न अधूरे रह गए और मैं फिर से भगवान के स्वपन में आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।







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