हर बार कुछ क्षण के लिए ह्रदय की धड़कने बढ़ा जाती है,
मष्तिष्क किसी तरह ह्रदय को संभालता है,
मष्तिष्क किसी तरह ह्रदय को संभालता है,
और ह्रदय फिर फेफड़ो की चिंता में डगमगाता है,
ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन स्तर जांचने के बाद ही,
सुकून की सांस ले पाता हूँ,
सुकून की सांस ले पाता हूँ,
टीवी पर ऑक्सीजन सप्लाई की कमी को लेकर,
आ रही खबरों से कई बार संकुचित हो जाता हूँ,
सहसा सांसो में तकलीफ सी होती है,
सहसा सांसो में तकलीफ सी होती है,
और घबराहट बढ़ जाती है,
तुरंत पेट के बल लेट जाता हूँ,
कुछ सांसो का व्यायाम करके,
कुछ सांसो का व्यायाम करके,
गरम वाष्प लेने लग जाता हूँ,
ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन का स्तर मापता हूँ,
और रीडिंग अठानवे आते ही अपने आप को शांत रख पता हूँ,
चार-पांच वर्षो में भगवान को याद करने वाला मैं,
उन्हें दिन में चार-पांच बार याद कर जाता हूँ,
उनसे क्षमा मांग, उनके सुमिरण में लग जाता हूँ,
उनका पाठ कर अपने रिश्ते सबल बनाता हूँ,
इस विपदा की घड़ी में, मैं ना जाने कितनी बार घबराता हूँ,
लेकिन प्रत्येक दिन मैं स्वयं को पहले से मजबूत पाता हूँ,
कुछ भी हो किन्तु इस आपदा ने मुझे शिक्षित किया,
अपने शरीर का ध्यान रखना सिखाया,
अपने इष्ट से मिलाया,
अपने इष्ट से मिलाया,
धैर्य रखना सिखाया,
हिम्मत ना हारना सिखाया,
लोगो की सहायता करना सिखाया,
विश्वास करना सिखाया,
विश्वास करना सिखाया,
मैं कर रहा हूँ, आप भी करें,
घबराये नहीं, साथ मिल मिलकर इससे लड़े।
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