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Wednesday, May 5, 2021

कोरोना

कोरोना वहां इठला कर खड़ा है,

और यहाँ धैर्य, साहस और विश्वास की मंत्रणा चल रही है। 

धैर्य बोला, थक गया मैं इस से लड़ लड़ के,

वापस आ जाता है, ये दुगुनी शक्ति से। 

धैर्य की बात सुनकर, साहस भी धीमे स्वर से बोला,

दुर्बल हो गया हूँ मैं भी, इसकी विविध शक्तियाँ देख कर,

इतना धैर्य रख रख कर, मेरा भी साहस कम हो गया है,

साहस के साथ धैर्य भी, इसके आगे नत मस्तक हो गया है। 


विश्वास, इतने समय से मौन खड़ा था,

धैर्य और साहस का वार्तालाप बड़े ही गौर से सुन रहा था,

सहसा उसने धैर्य और साहस का हाथ पकड़ कर जोर से झुंझलाया,

और ऊँचे स्वर में बोला, मुझे विश्वास है तुम दोनों पर,

तुम क्यों नहीं रखते विश्वास मुझ पर,

अरे कठिन समय में, दुर्बल परस्तिथियो में,

तुम दोनों की ही तो मिसाल दी जाती है,

कोई भी जंग तुम दोनों की उपस्तिथि में ही लड़ी जाती है,

क्यों थक कर बैठ गए तुम,

क्यों हार मान कर बैठ गए तुम,

अपने विशवास के स्तर को ऊपर ले जाओ, 

और अपने अंदर इतना मनोबल बढ़ाओ,

की कोरोना पर विजय की पताका लहराओ,

धैर्य, साहस और विश्वास, अब सब एक हो जाओ,

और इस कोरोना महामारी को मार भगाओ। 


जय हिन्द। 





 

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