अब आंसू न बहा
ना विलाप
ना पश्चाताप
खड़ी हो, और
हुँकार भर
तू ही सर्वेसर्वा है
तू ही माँ करणी
तू ही जगदम्बा है
कौन है वो
कहाँ है वो
परवाह ना कर
उनके शब्दों की
कर वज्रपात
उनके सीने में
जो कर ना सके
व्यवधान
तेरे जीने में
तू आगे बढ़
अब ना डर
स्वयं से
स्वयं से
ये प्रतिज्ञा कर
ना चाहिए तुझे
हाथ किसी का
ना चाहिये
साथ किसी का
अब खुद संभल
और संभल कर चल
बहुत बहा लिए
ये अनमोल अश्रु
कीमत इसकी
यहाँ किसी को नहीं
सशक्त बन
और निडर हो
निर्निमेष पथ पर
अकेले चल
विजयी भव:
~ आभार
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