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Tuesday, June 30, 2015

रक्त रंग परिवर्तित हुए
सम्बन्ध वही रहे
अनियमित मन पहचानने की कला
वो सदैव समझते रहे
उग्र मन.....शांत स्वभाव
ये विशिष्ट संयोजन
सिर्फ वो ही पढ़ पाये 
लगभग अस्सी हजार क्षणिकाओं पश्चात
आज फिर मेरे जीवन में आये
ठीक वही जहा छोड़ कर गए थे
ठीक उसी रंग रूप में
बस परिवेश बदल गए
और बदल गए कुछ लक्ष्य
आत्मा वही और देह भी वही
बस अंतकरण संरचनाए बदल गयी
वही तेज मुख पटल का देख
दिवा स्वप्नों में खो गए
करने लगे विश्वास पुनर्जन्म पर
जी के मर गए या मर कर जीवित हो गये।

Wednesday, April 1, 2015

हे आकाश||

मैं भी छूना चाहता हूँ उस नीले आकाश को.…
जो मुझे ऊपर से देख रहा है,
अपनी और आकर्षित कर रहा है,
मानों मुझे चिढ़ा रहा हो,
और मैं यहाँ खड़ा होकर…
उसके हर रंग निहार रहा हूँ,
ईर्ष्या भाव से नज़रें  टिका कर,
उसके सारे रंग देख रहा हूँ,
अनेक द्वंद मेरे मन में..... 
कैसे पहुँचु मैं उसके पास एक बार,
वो भी इठला कर, कर रहा है अभिमान,
ये सोचते हुए की, हे आकाश.…
आऊंगा तेरे पास एक दिन,
बैठ कर आमने सामने, करूँगा बात,
दृष्टि नीचे कर आगे की और चल पड़ा मैं.....


Monday, March 2, 2015

होली का त्यौहार 2015

आया होली का त्यौहार,
 ठीक बजट के बाद,
अतिरिक्त सेवा कर का भार ,
पिचकारी और रंगो पर भी पड़ी इसकी मार,

निकला रंगो की दुकान के आगे से मैं,
सोचा चार पांच रंग के गुलाल ही खरीद लूँ ,
अनुमान था भाव का फिर भी भाव सुन स्तब्ध रह गया,
चार पांच रंग के गुलाल का मेरा बजट आधा रह गया,

 पीला लाल और हरा रंग गुलाल ले लिया,
बाकी रंगो को अलविदा कह दिया,
महंगाई की चुनौती और बजट का प्रभाव,
न होने दिया मैंने खुशियों में अभाव,

होली आई.... पकवान बना,
जो भी रंग था खूब लगाया,
पानी भी व्यर्थ न फैलाया,
प्रेम और सदभाव के साथ होली का त्यौहार मनाया ॥


Thursday, August 14, 2014

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये !!

एक वर्ष और स्वतंत्रता का.. 
आकर चला गया.. 
महँगाई..भ्रष्टाचार और अनगिनत रेप के बीच, 

इस स्वतंत्र धरती के.. 
खुले आकाश में.. 
दम क्यों घुँट रहा है.. 
बस शरीर जीवित है,

कोई सरकार पर आरोप लगा रहा है.. 
सरकार विपक्ष पर.. 
विपक्ष सरकार की टांग खींच रहा है.. 
और जनता भूखी मर  रही है,

जिन वस्तुओं की जरुरत नहीं है..  
वो सस्ती मिल रही है.. 
और जरुरत की वस्तुऍ.. 
खरीद नहीं पा रहे है,

कठपुतली बन गए हम सब.. 
जो बैठता है कुर्सी पर .. 
वो नचाये जा रहा है,

स्वतंत्र है या गुलाम अभी भी.. 
इसी उलझन के साथ.. 
आप सभी को..  

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये !! 

Wednesday, July 9, 2014

स्टॉप लाइन

स्टॉप लाइन के पीछे खड़ा मैं ,
देख रहा हूँ एक एक  को आगे जाता ,
ज़ेब्रा क्रॉसिंग से भी आगे ,
एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ ,
यहाँ भी है लालबत्ती पर ,
आगे से आगे जाकर खड़ा होने की आकांक्षा ,
बड़ी ही विस्मयी है ,
कोई भी व्यक्ति मेरा साथ देने को तैयार नहीं ,
मेरे साथ स्टॉप लाइन के पीछे खड़े रहने को तैयार नहीं ,
इतने में एक व्यक्ति और आया ,
जिसने अपना वाहन मेरे पास रुकाया ,
अब हम दो थे जो आगे लोगो को देख रहे थे ,
हम उन्हें असभ्य समझ रहे थे ,
और वो सब हमें मूर्ख ,
थोड़ी देर में एक बड़ी सी चमचमाती कार रुकी ,
आगे जाकर उसमे बैठे एक व्यक्ति ने कार का दरवाजा खोला ,
एक दम स्त्री किये हुए कपडे,
धुप का चश्मा लगाए हुए उस व्यक्ति ने,
बैठे बैठे पान की पीक,
साफ़ सुथरी सड़क पर थूक दी ,
स्टॉप लाइन के आगे खड़े लोगो से ध्यान हटा ही था ,
कि इस घटना ने मुझे और झकझोर दिया ,
मैंने तुरंत सोचना बंद किया,
और हरी बत्ती होते ही,
सबसे आगे निकल कर,
अपना वाहन भगा ले गया ।।

Saturday, March 22, 2014

हिंदी भाषा


कई दशको पहले
यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता
जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता 
चहुँमुखी विकास के साथ साथ
अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता
और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा
भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती
और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता
लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता
तो मैं भी उपहास बनाता
जैसा आज मेरा उपहास बनाया गया
सिर्फ मेरे टूटी फूटी अँग्रेजी बोलने पर
"हिंदी ही बोला करो" ये अहसास दिलाया
सारी पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की जाती
साक्षात्कार भी हर जगह हिंदी में किया जाता
और विदेशी गानो का प्रारम्भ
हिंदी के शब्दो से किया जाता
विदेशो  में रैपिड हिंदी कोर्स करवाया जाता
भारत में अध्य्यन करने हेतु
हिंदी का जटिल प्रश्न पत्र आता
तब अंग्रेजी बोलने वाले भी हिंदी बोलते
तो उनका  सर गर्व से उठ जाता
तब कही जाकर
सराही जाती अपनी ही मातृभाषा
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान नहीं मुझे
लेकिन अच्छी लगती हिंदी भाषा ॥ 

Friday, February 21, 2014

काशवी / २२ फरवरी २०१३ / जन्म दिन की शुभकामनाएं

कौतुहल मन ,
स्थिर दृष्टि ,
अनंत विचार ,
दोहरा  हृदय स्पंदन ,
अनेक क्षणिक दिवा स्वप्न ,
प्रबल अशांत विराम ,
धुंधली योजनाये ,
स्पष्ट मनोबल,
कभी समय के पीछे ,
कभी समय के आगे ,
इन सब के बीच ,
एक अद्भुत विलक्षण ,
हर्ष अपार ,
नव आगमन ॥






Sunday, January 12, 2014

अकस्मात

चार बूँद आँसू ......
और एक सरल मुस्कान....
समय का ऐसा प्रभाव...
दोनों साथ साथ …
मन भी समझ ना पाए …
इस समय-क्रीड़ा को …
एक रिक्त  स्थान के इर्द गिर्द …
अदृश्य भीड़.....
मैं अपने सामने खड़ा …
निहार रहा हूँ आत्मा …
शिकायते, नाराज़गी...विलाप,
और पछतावा ....
आये और चले गए …
विस्मित बुद्धि …
मौन खड़ा हूँ मैं …
और चार बूँद आँसू …
फिर एक स्थिर सरल मुस्कान …
छोटी होती जीवन रेखा …
क्यों बड़ी लग रही है …
अकस्मात।।


Thursday, September 12, 2013

भीषण गर्जना

अत्यंत दुर्बल परिस्तिथि में ..
एक सह्सीय भीषण गर्जना ,
चारो ओर सन्नाटा  ..
आपस में तांकते महा विभोर ,
दुःख ..  कठिनाई ..तनाव ..समस्या ..
सब खड़े मौन ,
विस्मित मन से सोच रहे,
अब हो गया इनका विरोध ,
कैसे करेंगे परेशान अब,
सुन कर उसकी गर्जना ,
पीछे खड़ा ..सहमा हुआ डर  ..
डर रहा था आगे आने को ,
सोच रहा था मन ही मन ,
फिर किया आव्हान किसी ने ,
अब पराजय निश्चित है ,
गर्जना भर से ही सब विचलित है,
साथ  में थोडा विस्मित है ,
युक्तिया बना रहे है ,
बचने की अब ..
राह देख रहे है,
पलायन की अब ..
जायेंगे वहा,
जहाँ ना सुनाई  देगी, इन्हें ललकारने की,
इतनी भीषण गर्जना ....

 

Wednesday, September 4, 2013

बातचीत की खिड़की

एक दिन जी मेल पर…
अवसर मिला लॉग इन करने का.…
सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…
जान लूँगा हाल उनके …
और बता दूंगा अपने भी.…
एक दोस्त को क्लिक किया …. 
चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…
चेट विंडो में उसकी … 
लाल बत्ती जल रही थी.…
जो एक चेतावनी दे रही थी.…
दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…
हमे आया गुस्सा … 
बोले चेट विंडो से….
अरे रुकावट तो तुम बन रही हो.…
हम दो दोस्तों के बीच.…
लाल बत्ती और धमकी भरी चेतावनी से….
डरा रही हो…
वो कुछ ना बोली …
और ना दोस्त कुछ बोला ….
हम कुछ देर रुके ….
और फिर एक दोस्त पर क्लिक किया ….
इस बार हरी बत्ती थी ….
मन प्रसन्न हुआ ….
इस से जरुर बात होगी …
हमने पूछा प्रेम से....
कैसे हो?
कुछ देर तक जवाब ना आया ….
और हरी दिखने वाली बत्ती …
कब नारंगी हो गयी ….
पता ना चला …
हम थोड़े मायूस हुए…
लेकिन एक बार फिर सहस्त्र आशाओ के बल पर…
फिर एक दोस्त को क्लिक किया….
सहसा आशाओ का बल अदृश्य हुआ ….
एक विचार आया.…
और हमने स्वत ही वो .…
बातचीत की खिड़की बंद कर दी ….
और अनिश्चित काल के लिए …
लॉगआउट हो गए । ।