उस अँधेरे रास्ते में हल्की सी रोशनी आ रही थी ….
मुझे आगे बढ़ने से डरा रही थी …
अँधेरे में चलने की आदत हो गयी थी ….
तो रोशनी की तरफ चलने में परेशानी हो रही थी…
कई बार सोचा आगे बढ़ने के लिए …
लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया …
काफी देर वही खड़ा रहा ….
सहमे हुए…
एक चिंता और सता रही थी …
कही सुबह न हो जाये …
पूर्ण रूप से रोशनी न हो जाये …
पुनः पीछे जाने का मन कर रहा था …
मन जो स्वयं मन से डर रहा था …
उजाले से बचने वाले रास्ते की उधेड़बुन में …
समय जल्दी ही निकल रहा था …
जैसे जैसे समय बढ़ा ….
उजाला भी बढ़ता गया ….
धीरे धीरे अँधेरा पूरा चला गया …
रोशनी के आवरण ने नया रूप लिया …
अँधेरे के जाने की उदासी …
और इस नयी रोशनी की चमक ने ….
प्रजव्लित कर दिया …
मुझे…
मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ….
और अँधेरे में वापसी कर ली ….
आज भी मैं अँधेरे के साथ …
और अँधेरा मेरे साथ है ……
मुझे आगे बढ़ने से डरा रही थी …
अँधेरे में चलने की आदत हो गयी थी ….
तो रोशनी की तरफ चलने में परेशानी हो रही थी…
कई बार सोचा आगे बढ़ने के लिए …
लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया …
काफी देर वही खड़ा रहा ….
सहमे हुए…
एक चिंता और सता रही थी …
कही सुबह न हो जाये …
पूर्ण रूप से रोशनी न हो जाये …
पुनः पीछे जाने का मन कर रहा था …
मन जो स्वयं मन से डर रहा था …
उजाले से बचने वाले रास्ते की उधेड़बुन में …
समय जल्दी ही निकल रहा था …
जैसे जैसे समय बढ़ा ….
उजाला भी बढ़ता गया ….
धीरे धीरे अँधेरा पूरा चला गया …
रोशनी के आवरण ने नया रूप लिया …
अँधेरे के जाने की उदासी …
और इस नयी रोशनी की चमक ने ….
प्रजव्लित कर दिया …
मुझे…
मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ….
और अँधेरे में वापसी कर ली ….
आज भी मैं अँधेरे के साथ …
और अँधेरा मेरे साथ है ……