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Friday, September 9, 2011

"किस्मत"

एक दिन के लिए मुझे तेरी किस्मत दे दे,
मैं भी बनना चाहता हूँ चमकता सितारा,
मैं भी भागना चाहता हूँ एक अलग वर्ग की दौड़ में,
चढ़ना चाहता हूँ वो सीढ़िया, जिनके
मैंने सिर्फ सपने देखे थे,
उसी विश्वास के साथ चढ़ना चाहता हूँ,
एक दिन के लिए मुझे तेरी किस्मत दे दे,
ये वादा है मेरा लौटा दूंगा मैं वापस तेरी किस्मत,
आंच भी ना आएगी तू घबरा मत,
हज़ारो ख्वाहिशे खड़ी है इस बंद दरवाज़े के पीछे,
जिसकी चाबी सिर्फ पास है तेरे,
खोल दे दरवाज़ा आने दे बाहर इन्हें,
बाहर आकर एक बार पूरा होने का मौका दे इन्हें,
एक दिन के लिए मुझे तेरी किस्मत दे दे,
एक दिन के लिए मुझे तेरी किस्मत दे दे!

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