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Friday, September 9, 2011

आँसू

"आँसू "
ये आँसू कहाँ गायब हो गए मेरे,
रोता हू तो भी बाहर नहीं आते,
छोड़ कर मुझे पता नहीं कहाँ चले गए,
मुझे फिर से अकेला कर गए,
बुलाता था इन्हें तो,
जल्दी से आ जाते थे,
समय पर आकर अपनी दोस्ती निभाते थे,
याद आती है मुझे इनकी,
जो इस अस्तित्व को संभालते थे,
इनके आते ही सारे गम भूल जाता था,
रोने के बाद बहुत हँसता और हँसाता था,
बहुत दिन हो गए कहाँ चले गए,
देखो आँखें नाम भी नहीं होती अब,
नाराज़ हो, तो माफ़ कर दो, वापस आ जाओ,
सिर्फ एक बार और अपनी दोस्ती निभाओ,
आके संभालो मुझे,
मैं राहे भटक रहा हूँ,
तुम बिन...
अपनी ज़िन्दगी गिन रहा हूँ!

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