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Friday, September 9, 2011

"रुक जा वापस आ ना"

रुक जा, मत जा,
कितना चीखा, कितना चिल्लाया,
रोया भी, पर वो न रुका,
आवाज़ भी नहीं सुनी,
कितना भागा, कितनी बार गिरा,
उठा, संभला, फिर भागा,
रातो जागा पर वो ना रुका,
सारी कोशिशे, सारे प्रयास,
साम, दाम, दंड, भेद,
सब विफल हुआ निराश,
यही सोच,एक अंतिम प्रयास,
किया इन्जार, पर वो ना रुका,
विश्वास भी दिलाया,वादा भी किया,
उसने कहा मुझे क्यों भागता है,
क्यों चीखता है,अब मैं जा चुका हूँ,
वापस ना आने के लिए,
लेकिन मैं फिर एक बार,
भागता हूँ....
अंतिम प्रयास सोच कर,
फिर भी, वो ना रुका,
अब मैं समझ गया हूँ,
विश्वास सिर्फ एक बार,
वादा सिर्फ एक बार,
फिर भी दुबारा दिलाने की,
कोशिश में, मैं...
भागता रहूँगा!

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